श्री विश्वकर्मा जी की आरती: सृष्टि के निर्माता और रक्षक की महिमा
भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के निर्माणकर्ता और शिल्पकला के देवता के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में उन्हें आदिकाल से सभी प्रकार की निर्माण कला, वास्तुकला, और यांत्रिकी का जनक माना जाता है। उनकी आरती में उनके दिव्य गुणों, ज्ञान और शक्ति का गुणगान किया जाता है।
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु!
यदि आप भी सच्चे मन से भगवान विश्वकर्मा की आरती का पाठ करेंगे, तो जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता अवश्य प्राप्त करेंगे।
आरती पढ़ें और आनंद प्राप्त करें:
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा
सकल सृष्टी मे विधि को श्रुति उपदेश दिया,
जीव मात्र का जग मे ज्ञान विकास किया
जय श्री विश्वकर्मा..
ऋषि अंगिरा तप से शांति नही पाई,
ध्यान किया जब प्रभु का सकल सीधी आई,
जय श्री विश्वकर्मा...
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना,
संकट मोचन बनकर दूर दुख कीना,
जय श्री विश्वकर्मा...
जब रथकार दम्पति, तुम्हारी टेक करी,
सुनकर दीन प्रार्थना विपत हरी सगरी,
जय श्री विश्वकर्मा..
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे
द्विभुज चतुभुज दशभुज, सकल रूप सजे
जय श्री विश्वकर्मा....
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे,
मन द्विभुज मिट जावे, अटल शक्ति पावे,
जय श्री विश्वकर्मा...
श्री विश्वकर्मा की आरती जो कोई नर गावे,
भजत ग़ज़ानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे,
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जयश्री विश्वकर्मा||
भगवान विश्वकर्मा की आरती न केवल उनकी महिमा का वर्णन करती है, बल्कि भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक भी है जो जीवन में आने वाली कठिनाइयों को पार करने की प्रेरणा देती है। उनकी आराधना से भक्तों को आशीर्वाद, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है।